By: D.K Chaudhary
यह किसी त्रासदी से कम नहीं कि लाखों छात्रों को उस विषय की परीक्षा फिर से देने के लिए विवश होना पड़े, जिसे वे पहले दे चुके हैं। चूंकि दसवीं की गणित और बारहवीं की अर्थशास्त्र की परीक्षा दोबारा होने से लाखों छात्रों और अभिभावकों के साथ-साथ शिक्षकों को भी अनावश्यक परेशानी का सामना करना पड़ेगा, इसलिए इन विषयों के पर्चे लीक होने के मामले में ऐसी कोई ठोस कार्रवाई होनी चाहिए, जो नजीर बने। ऐसा इसलिए और भी आवश्यक है, क्योंकि सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा की शुचिता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग गया है। समझना कठिन है कि एक ऐसे समय जब हर तरह की परीक्षाओं के पर्चे लीक होने का खतरा कहीं अधिक बढ़ गया है, तब किसी ने यह सुनिश्चित क्यों नहीं किया कि सीबीएसई परीक्षा की गोपनीयता बनाए रखने के तंत्र में सेंध न लगने पाए?
इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि मानव संसाधन विकास मंत्री ने दो विषयों की परीक्षा फिर से कराए जाने की नौबत आने पर खेद जताया और प्रधानमंत्री ने भी नाराजगी प्रकट की, क्योंकि बीते कुछ समय से विभिन्न् परीक्षाओं के पर्चे लीक होने का सिलसिला कायम है। चंद दिनों पहले ही कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा के पर्चे लीक होने के मामले की जांच सीबीआई को सौंपनी पड़ी थी। इसके पहले भी अन्य कई परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक हो चुके हैं।
यह ठीक नहीं कि प्रतियोगी परीक्षाओं के साथ-साथ स्कूल और कॉलेज स्तर की परीक्षाओं के भी प्रश्नपत्र लीक होने लगें। प्रश्नपत्र लीक होने का सिलसिला संबंधित संस्थाओं के साथ ही शासन तंत्र की विश्वसनीयता को भी चोट पहुंचाता है। छात्रों के साथ-साथ आम जनता के मन में भी यह धारणा गहराती है कि अब हर कहीं सेंध लगाना आसान हो गया है। बेहतर है कि हमारे नीति-नियंता यह समझें कि अगर परीक्षा आयोजन के तौर-तरीकों में आमूलचूल परिवर्तन नहीं लाया जाता, तो परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक होते ही रहेंगे।