By: D.K Chaudhary
जवाबी कार्रवाई के तौर पर यहां भी कुछ अमेरिकी उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाया गया है। इससे सरकार का चालू खाते का घाटा और बढ़ने का खतरा है। लेकिन असल दुविधा ईरान को लेकर है। भारत के लिए ईरान तीसरा बड़ा क्रूड सप्लायर है। इराक और सऊदी अरब के बाद भारत में सबसे ज्यादा कच्चा तेल ईरान से ही मंगाया जाता है। वैसे ईरान सबसे अधिक तेल चीन को निर्यात करता है, भारत उसके तेल का दूसरा बड़ा ग्राहक है। ईरान से तेल मंगाना सस्ता पड़ता है। इसके अलावा भारत ने ईरान में चाबहार बंदरगाह के निर्माण में काफी पूंजी भी लगा रखी है। स्थितियों को देखते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अगस्त के बाद ईरान से तेल आयात कम करने की बात कही है। नयारा एनर्जी (पहले एस्सार ऑयल) ने तो ईरान से तेल खरीदना जून से ही कम कर दिया है। पिछली बार ईरान पर प्रतिबंध लगा था तब भारत ने उससे आयात पूरी तरह बंद नहीं किया था, पर अमेरिकी प्रशासन के साथ बातचीत के बाद मात्रा जरूर घटा दी थी। अमेरिका ने तब भारतीय कंपनियों पर रोक नहीं लगाई थी। लेकिन इस बार उसका रुख ज्यादा कड़ा है। जाहिर है, हमें आगे के लिए अभी से रणनीति बनानी होगी। वक्त का तकाजा है कि भारत और चीन जैसे देश अमेरिकी धौंसपट्टी के खिलाफ मजबूत स्टैंड लें और अमेरिका को झुकने पर मजबूर करें। हाल में चीन ने भारत और अन्य कुछ देशों से होने वाले आयात पर शुल्क घटाया है। ऐसी और भी पहलकदमियों के बल पर एक नई वैश्विक व्यवस्था बनाई जाए, जिसमें जबरदस्ती के लिए कोई जगह न हो।