फर्जी खबर का मतलब (Editorial page)  05th April 2018

By: D.K Chaudhary

 शुक्र है कि प्रधानमंत्री कार्यालय(पीएमओ) ने समय रहते दखल दिया और फर्जी खबरों पर रोक लगाने के कथित उद्देश्य से एक दिन पहले जारी की गई सरकार की गाइडलाइन वापस ले ली गई। पीएमओ ने ठीक ही कहा कि फर्जी खबरों से जुड़े सारे मसले प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के जरिए ही निपटाए जाने चाहिए। पीएमओ के निर्देश के बाद चूंकि सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने अपना विवादास्पद वक्तव्य वापस ले लिया है, इसलिए मानकर चलें कि फर्जी खबरों को रोकने का यह तरीका सरकार काम में नहीं लाएगी। मगर जिस तरह से सरकार इसे लेकर आई और जिस अंदाज में सूचना व प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी इस पर उठाए जा रहे ऐतराजों का जवाब दे रही थीं, वह हैरत में डालने वाला था। 

अफवाहों और फर्जी खबरों पर रोक लगाने की जरूरत से इनकार नहीं किया जा सकता, मगर पहले यह तो स्पष्ट हो कि फर्जी खबर है क्या। दिलचस्प बात है कि सरकार के नोट में इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया गया था। यह जरूर कह दिया गया था कि फर्जी खबर बनाने या फैलाने की शिकायत दर्ज होते ही संबंधित पत्रकार की मान्यता ‘निलंबित’ कर दी जाएगी। खबरें फर्जी होने या न होने की जांच का जिम्मा मीडिया की नियामक संस्थाओं प्रेस काउंसिल और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स असोसिएशन को ही सौंपा गया था, लेकिन सरकार किन खबरों को फर्जी मान सकती है, इसका उदाहरण पिछले दो दिनों में सूचना व प्रसारण मंत्री समेत 13 केंद्रीय मंत्रियों द्वारा ट्वीट किए गए उस वेबसाइट के लिंक से मिला, जिसमें चार प्रमुख फर्जी खबरों का भंडाफोड़ करने का दावा किया गया था। 

गौर करने की बात यह है कि इन चार कथित फर्जी खबरों में ऐसी दो खबरें भी शामिल थीं, जो देश के प्रतिष्ठित अंग्रेजी अखबारों में पुलिस एफआईआर तथा विदेश सचिव द्वारा कैबिनेट सचिव को भेजे गए नोट के हवाले से छापी गई थीं। यानी हमारे केंद्रीय मंत्रिमंडल का एक बड़ा हिस्सा भारत सरकार के जिम्मेदार लोगों के हवाले से दी गई खबरों को भी फर्जी करार देने की मुहिम में शामिल हो गया। पत्रकारों की मान्यता स्थगित करने को इस हद तक बेकरार हमारा सूचना-प्रसारण मंत्रालय क्या इस निंदनीय गतिविधि पर कोई ठोस सफाई पेश करने की जहमत उठाएगा? 

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