By: D.K Chaudhary
अफवाहों और फर्जी खबरों पर रोक लगाने की जरूरत से इनकार नहीं किया जा सकता, मगर पहले यह तो स्पष्ट हो कि फर्जी खबर है क्या। दिलचस्प बात है कि सरकार के नोट में इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया गया था। यह जरूर कह दिया गया था कि फर्जी खबर बनाने या फैलाने की शिकायत दर्ज होते ही संबंधित पत्रकार की मान्यता ‘निलंबित’ कर दी जाएगी। खबरें फर्जी होने या न होने की जांच का जिम्मा मीडिया की नियामक संस्थाओं प्रेस काउंसिल और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स असोसिएशन को ही सौंपा गया था, लेकिन सरकार किन खबरों को फर्जी मान सकती है, इसका उदाहरण पिछले दो दिनों में सूचना व प्रसारण मंत्री समेत 13 केंद्रीय मंत्रियों द्वारा ट्वीट किए गए उस वेबसाइट के लिंक से मिला, जिसमें चार प्रमुख फर्जी खबरों का भंडाफोड़ करने का दावा किया गया था।
गौर करने की बात यह है कि इन चार कथित फर्जी खबरों में ऐसी दो खबरें भी शामिल थीं, जो देश के प्रतिष्ठित अंग्रेजी अखबारों में पुलिस एफआईआर तथा विदेश सचिव द्वारा कैबिनेट सचिव को भेजे गए नोट के हवाले से छापी गई थीं। यानी हमारे केंद्रीय मंत्रिमंडल का एक बड़ा हिस्सा भारत सरकार के जिम्मेदार लोगों के हवाले से दी गई खबरों को भी फर्जी करार देने की मुहिम में शामिल हो गया। पत्रकारों की मान्यता स्थगित करने को इस हद तक बेकरार हमारा सूचना-प्रसारण मंत्रालय क्या इस निंदनीय गतिविधि पर कोई ठोस सफाई पेश करने की जहमत उठाएगा?