By: D.K Chaudhary
ओरैया जिलाधिकारी द्वारा कराई गई प्राथमिक जांच में शिकायतें सही पाए जाने पर इस मामले में मुकदमा दर्ज कराया गया है। मगर, यह तो फर्जीवाड़े का सिर्फ एक पहलू है। इसका दूसरा पहलू उजागर हुआ एनबीटी के एक स्टिंग ऑपरेशन में। पता चला कि गौतम बुद्ध नगर में बीस हजार रुपये और गहनों-तोहफों के लालच में कई ऐसे जोड़े भी शादी करने पहुंच गए जो सालों पहले से शादीशुदा थे। कुछ के तो कई बच्चे भी थे। अपने समाज में पारंपरिक शादी में होने वाली धोखाधड़ी के किस्से आम हैं, लेकिन अलग-अलग जिलों में उजागर हुए दोतरफा छद्म का यह मामला खुद में अनूठा है।
बहरहाल, घपलों की शिकायतें अपनी जगह हैं। इनकी जांच होनी चाहिए और इनमें दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों और लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई भी होनी चाहिए। लेकिन यह समझना भी जरूरी है कि इस योजना में कुछ गड़बड़ी अवधारणा के स्तर पर भी थी। बेटियों को शिक्षा देकर, उनके लिए नौकरी या स्व-रोजगार की व्यवस्था करके उन्हें स्वावलंबी बनाया जाना चाहिए, ताकि बाद वे अपनी मर्जी से अपना जीवनसाथी चुनें और मां-बाप को भी अपनी खुशियों में भागीदार बनाएं। इसके बजाय अगर समाज के एक हिस्से में ऐसी सोच बनी हुई है कि शादी से जुड़ी जिम्मेदारियों के चलते बेटी गरीब आदमी के लिए असह्य बोझ बन जाती है, तो जरूरत इस सोच को बदलने की है, न कि सरकारी प्रयासों के जरिये उसे और मजबूत करने की। उम्मीद करें कि घपले रोकने के साथ-साथ सरकार योजना का स्वरूप बदलने पर भी विचार करेगी।