शिक्षा पर बहस बंद क्यों (Editorial Page) 19th Nov 2017

By: D.K Chaudhary

पटना विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों से कहा था कि आपके सामने अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय बनने का अवसर है।

देश के 20 विश्वविद्यालय वल्र्ड क्लास के बनेंगे। 10 सरकारी और 10 निजी विश्वविद्यालयों को योग्यता के आधार पर चुना जाएगा। यह कहा था कि प्राचीन काल में नालंदा एवं विक्रमशिला

जैसे विश्वविद्यालयों की पूरे विश्व में चर्चा होती थी। फिर हमें ऐसे विश्वविद्यालय बनाने हैं। इसके बाद पटना समेत राज्य के तमाम विश्वविद्यालयों की स्थिति पर बहस चली, लेकिन बड़ा सवाल यह है

कि क्या उस बहस के बाद इस क्षेत्र में कोई काम शुरू हुआ? पिछले कुछ वर्षो में बिहार के बारे में तेजी से सकारात्मक वातावरण बना है। फिर भी जिन क्षेत्रों में अपेक्षित सुधार नहीं हो सका,

उनमें उच्च शिक्षा, विशेषकर विश्वविद्यालयों की चर्चा होती है। जिस पटना विश्वविद्यालय पर राज्य कभी गर्व महसूस करता था, उसकी चमक लौटाना सपने जैसा है। विश्वविद्यालय में पठन-पाठन से

लेकर ढांचागत समस्याओं पर चर्चा होती है। छात्र रोज समस्याएं ङोलते हैं। पुस्तकालय, छात्रवास, शौचालय, क्लास रूम तक की हालत खराब है। केंद्रीय विश्वविद्यालय की मांग तो अब ठंडे बस्ते में है,

लेकिन क्या उसके बाद विश्वविद्यालय की दशा सुधारने के लिए कोई कार्ययोजना बन रही। विश्वविद्यालयों की यह स्थिति सतत लापरवाही का परिणाम है। दरअसल, विश्वविद्यालयों को हर साल जो

धनराशि राज्य सरकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से प्राप्त होती है, उसका समुचित उपयोग नहीं हो पाता। ऐसी समस्याओं पर कब और कहां बहस होगी और इनका उपाय कौन खोजेगा?

इस सवाल का जवाब खोजा जाना चाहिए। विश्वविद्यालयों के गौरव को लौटाने के लिए एक ऐसी पहल जरूरी है जिसमें इस दौर के शिक्षाविद् और समाज के जागरूक लोग सक्रिय भूमिका निभाएं।

यह केवल शिक्षकों-छात्रों और उनके राजनीतिक संगठनों के भरोसे संभव नहीं है। बड़े मकसद का रास्ता थोड़ा लंबा हो सकता है। जिन लोगों को विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा से गहरा लगाव है

और जिन्हें आने वाली पीढ़ियों की चिंता है, उनके लिए उच्च शिक्षा में सुधार के बारे में सोचना अत्यंत जरूरी है।

About D.K Chaudhary

Polityadda the Vision does not only “train” candidates for the Civil Services, it makes them effective members of a Knowledge Community. Polityadda the Vision enrolls candidates possessing the necessary potential to compete at the Civil Services Examination. It organizes them in the form of a fraternity striving to achieve success in the Civil Services Exam. Content Publish By D.K. Chaudhary

Check Also

चुनाव में शरीफ Editorial page 23rd July 2018

By: D.K Chaudhary लाहौर के अल्लामा इकबाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर जब पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज …