Biology GK question answer 21st June 2017

By: D.K choudhary

♦ जीवाणु , सूक्ष्म शैवाल और कवक उधोगों में सर्वाधिक व्यापक रूप से उपयोग में आता है।
♦ प्याज की खेती पौध का प्रतिरापण करके की जाती है।
♦ आक्टोपस एक मृदुकवची (मोल्यूज) है।
♦ इफेडि्रन एक औषधि है जिसका उपयोग अस्थमा रोग में होता है इसे जिम्नोस्पर्म से निकाला जाता है।
♦ चावल की फसल के लिए नीलहरित शैवाल अच्छे जैव उर्वरक का कार्य करता है।
♦ रेशम का किडा अपने जीवन चक्र के कोषित चरण में वाणिजियक तन्तु पैदा करता है।
♦ रक्त ग्लूकोज स्तर सामान्यत: भाग प्रतिमिलियन में व्यक्त किया जाता है।
♦ लम्बे समय तक कठोर शारीरिक कार्य के पश्चात मांसपेसियों में थकान अनुभव होने का कारण ग्लूकोज का अवक्षय होना है।
♦ नीम के वृक्ष ने जैव उर्वरक , जैव किटनाषी एवं प्रजननरोधी यौगिक स्त्रोत के रूप में महत्व प्राप्त कर लिया है।
♦ नियासीन (बी5), राइबोफ्लेविन(बी2), थायमीन(बी1) एवं पिरीडाक्सीन सभी विटामिन जल में विलेय है।
♦ उदर के लगा हुआ मानव आंत का लघु ऊपरी भाग गृहणी (डयूओडिनम) कहलाता है।
♦ लोहा एन्जाइम्स को सक्रिय करता है, मैगिनशियम वसा का संष्लेशण करती है, क्लोरीन प्रकाश संष्लेशण में इलेक्ट्रानो
का स्थानान्तरण करती है, नाइट्रोजन प्रोटीन का संष्लेशण करती है।
♦ सर्वप्रथम हार्वे ने रक्त परिसंचरण का सिध्दांत प्रतिपादित किया था उसके बाद डार्विन का विकास सिध्दांत प्रतिपादित
हुआ था उसके बाद मेंण्डल का वंशागति का नियम प्रतिपादित हुआ था एवं तत्पश्चात डी ब्रीज का उत्परिवर्तन का सिध्दांत प्रतिपादित हुआ।
♦ एक वयस्क मनुष्य के प्रत्येक जबडे में 16 दाँत पाये जाते है प्रत्येक जबडें मे दाँतो का विन्यास – एक कैनाइन, दो प्रीमोलर, दो इन्सीजर एवं तीन मोलर होता है।
♦ डार्विन का सिद्वान्त ‘आरिजिन आफ स्पीषीज’ की व्याख्या का सही अनुक्रम अतिउत्पादन – विभिन्नताएें- अस्तित्व के लिए संघर्श – योग्यतम की उत्तरजीविता हैै।
♦ यदि किसी द्विबीजपत्री जड को तिरछी दिशा में काटे , तो उसकी आन्तरिक संरचना में बाहर से अन्दर की ओर जो भी भाग पाये जाते है अन्दर की ओर पाये जाने वाले भाग क्रमश: इपिडर्मिस – कार्टेक्स – पेरीसाइकिल – वेस्कुल बण्डल होता है।
♦ मनुष्य को विटामिन्स की जरूरत क्रमष: विटामिन के – विटामिन र्इ – विटामिन डी – विटामिन ए आरोही क्रम में होती है

नमकीन क्षेत्र में होने वाली वनस्पतियों को हैलोफाइट कहते है।
♦ पारिस्थितिकी तन्त्र की खाध श्रंखला का सही अनुक्रम पादप-शाकाहारी-मांसाहारी-अपघटक है।
♦ पौधे का पत्ती वाला भाग श्वसन करता है
♦ केला और नारियल एक बीजपत्री फल है।
♦ सिनकोना पौधे के तने की छाल से कुनैन प्राप्त की जाती है।
♦ बीज के अंकुरण में महत्वपूर्ण कारणों में प्रमुखत: हवा नमी एवं उपयुक्त ताप होते है। सूर्य का प्रकाश नही होता है।
♦ यीस्ट और मशरूम फफूँद (फंजार्इ) होते है।
♦ कीटों के वैज्ञानिक अध्ययन को एन्टोमोलाजी कहते है।
♦ फल विज्ञान के अध्ययन को पोमोलाजी कहते है।
♦ पुष्प विज्ञान के अध्ययन को फ्लोरीकल्चर कहते है।
♦ सब्जी विज्ञान के अध्ययन को ओलेरीकल्चर कहते है।
♦ आँख का वह भाग जिसमें वर्णांक होल होता है तथा जो किसी व्यकित की आँखों का रंग निशिचत करता है उसे आइरिस भाग कहते है।
♦ अमोनिया को नाइट्रेट में बदलने में नाइट्रोसोमोनास भूमिका निभाता है।
♦ जीनोम चित्रण का सम्बन्ध जीन्स के चित्रण से है।
♦ पंतगा बारूदी सुरंगो का पता लगाने में उपयोगी होते है।
♦ एजोला नीलहरित शैवाल एवं एल्फाल्फा जैव उर्वरक के रूप प्रयोग होते है।
♦ गिरगिट एक आँख से आगे की ओर तथा उसी समय दूसरी आँख से पीछे की ओर देख सकता है।
♦ कृषि की वह शाखा जो पालतु पशुओं के चारे आश्रय, स्वास्थ्य तथा प्रजनन से सम्बधित होती है उसे पशुपालन (एनीमलहस्बेन्ड्री) कहते है।
♦ जेरेन्टोलाजी वृद्व अवस्था के अध्ययन को कहा जाता है।
♦ जनसंख्या एवं मानव जाति के महत्वपूर्ण आंकडो के अध्ययन को जनांकिकी कहते है।
♦ एक जलीय पौधे को हाइड्रोफाइट कहते है।
♦ हरे फलों को कृत्रिम रूप से पकाने हेतु एसीटिलीन गैस का प्रयोग करते है।
♦ प्रकाश संष्लेशण की कि्रया में प्रकाश ऊर्जा , रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित होती है।
♦ वृक्ष की आयु का वर्शो में निर्धारण उसमें उपस्थित वार्शिक वलयों की संख्या के आधार पर किया जाता है।
♦ सिरकोना की छाल से प्राप्त औषधि को मलेरिया के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है। जिस कृत्रिम औषधि ने इस
प्राकृतिक औषधि के प्रतिस्थापित किया वह क्लोरोकिवन है।
♦ मृदा को नाइट्रोजन से भरपूर करने वाली फसल मटर की फसल है।
♦ यदि जल का प्रदूषण वर्तमान गति से होता रहा तो अन्तत: जल पादपों के लिए आक्सीजन के अणु अप्राप्य हो जायेगें ।
घोंसला बनाने वाला एक मात्र सर्प नागराज (किंग कोबरा) है।
♦ नदियाें में जल प्रदूषण की माप आक्सीजन की घुली हुर्इ मात्रा से की जाती है।
♦ शिशु का पित्रत्व स्थापित करने के लिए डीएनए फिंगर प्रिंटिग तकनीक का प्रयोग किया जा सकता हैं।
♦ भारतीय किसान टर्मिनेट बीज प्रौधोगिकी के प्रवेश से असंतुष्ट है क्योकि इस प्रौधोगिकी से उत्पादित बीजों से अंकुरणक्षम बीज बनाने में असमर्थ पौधों के उगने की सम्भावना होती है।
♦ मछली के मांस में बहुअसंतृप्त वसा अम्ल होते है इसलिए इसका उपभोग अन्य पशुओं के मांस की तुलना में स्वास्थ्यकर माना जाता है।

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